
छत्तीसगढ़।राज्य के हज़ारों बेरोज़गार युवाओं के आक्रोश और निराशा का मंजर उस समय सामने आया जब 2023 की सहायक शिक्षक भर्ती में चयनित होने के बावजूद नियुक्ति से वंचित 2300 से अधिक D.Ed अभ्यर्थियों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी।



इन अभ्यर्थियों का कहना है कि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बाद भी शिक्षा विभाग की टालमटोल के कारण उनकी नियुक्ति प्रक्रिया अधर में लटकी है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि 2621 B.Ed. अभ्यर्थियों की नियुक्ति तो कर दी गई, लेकिन शेष 2300 D.Ed. अभ्यर्थियों की फाइलें विभागीय प्रक्रियाओं में अटक गईं।
अभ्यर्थियों ने पत्र में लिखा –
👉 “यह स्थिति हमारे लिए अपमानजनक और मानसिक रूप से पीड़ादायक है। हजारों बेरोज़गार युवाओं को अब न तो कोई उम्मीद दिख रही है और न ही कोई जवाब। न्यायालय के आदेशों और विभागीय टालमटोल ने हमें सामाजिक और आर्थिक संकट में डाल दिया है।”
इनका आरोप है कि 1316 पदों पर काउंसलिंग हुई लेकिन छठवीं सूची जारी नहीं की गई। शेष 984 पदों पर भी प्रक्रिया अधूरी है। इन शेष पदों में से 1700 से अधिक पद आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
अभ्यर्थियों की प्रमुख मांगें:
1. राज्य सरकार हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का तत्काल पालन करे।
2. शेष 2300 पदों के लिए छठवीं चयन सूची जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाए।
3. यदि ऐसा नहीं किया गया तो ये 2300 अभ्यर्थी, जिनमें अधिकांश आदिवासी वर्ग के हैं, इच्छा मृत्यु (Euthanasia) की अनुमति चाहते हैं।
पत्र में लिखा गया कि अगर उनकी बातें नहीं सुनी गईं तो वे सिस्टम के इस अन्याय में अपनी जान देने पर मजबूर होंगे।
यह मामला अब प्रशासन और शासन के लिए बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है – आखिर कब तक युवा अपनी जिंदगी और करियर को लेकर इस तरह के संघर्ष में जूझते रहेंगे?