
मुंगेली, सरगांव।
कुसुम प्लांट में हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। इस कठिन समय में मुंगेली प्रशासन ने जिस तत्परता और समर्पण का परिचय दिया, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और जिला सीईओ ने हादसे के तुरंत बाद जो साहस और नेतृत्व दिखाया, वह अक्षय कुमार की फिल्म मिशन रानीगंज की याद दिलाता है।
तेजी से लिया गया एक्शन

हादसा होते ही जिले के शीर्ष अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए। चेहरे पर चिंता और दिल में दृढ़ता लिए वे सिर्फ एक ही लक्ष्य पर केंद्रित थे—दबे हुए मजदूरों को बचाना। प्रशासन ने तुरंत क्रेनों की व्यवस्था की और बचाव अभियान को गति दी।
नेताओं और जनता को संतोषजनक जवाब देना भी चुनौती


अधिकारियों के सामने सिर्फ बचाव कार्य नहीं, बल्कि नेताओं, पत्रकारों, और मृतकों के परिजनों के सवालों का संतोषजनक जवाब देना भी बड़ी चुनौती थी। इस दौरान प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्रशासन ने हर कदम पर संवेदनशीलता और त्वरित निर्णयों का परिचय दिया।
40 घंटे तक मैदान में जुटे रहे अधिकारी


लगातार 40-45 घंटे बिना कपड़े बदले, धूल और राख में सने हुए, अधिकारियों ने कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे डटे रहकर अभियान को अंजाम दिया। उनकी मेहनत और समर्पण ने पूरे जिले में प्रशासन के प्रति एक नई विश्वास की भावना पैदा की।
दुखद अंत लेकिन तुरंत कार्यवाही
हालांकि, सभी प्रयासों के बावजूद मजदूरों को बचाया नहीं जा सका। लेकिन प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए मृतकों के परिवारों को तुरंत मुआवजे की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। इसके साथ ही हादसे की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की गई।
मुंगेली प्रशासन की मिसाल

यह हादसा भले ही दर्दनाक था, लेकिन मुंगेली प्रशासन ने अपने कार्यों से दिखा दिया कि मानवता और सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। उनकी तत्परता और समर्पण आने वाले समय में प्रशासनिक सेवा के लिए मिसाल बनेगा।
मुंगेली का यह ‘मिशन रानीगंज’ हमेशा याद रखा जाएगा।

