

छत्तीसगढ़ में किसानों और सत्ता के नेताओं के बीच जारी यह स्थिति प्रदेश की कृषि व्यवस्था और राजनीतिक रणनीति दोनों को प्रभावित कर रही है।
1) धान के पैसे का मुद्दा
किसानों की सबसे बड़ी चिंता उनके मेहनत से उपजे धान की कीमत को समय पर और एकमुश्त न मिल पाना है। यह वादा सरकार की ओर से किसानों के विश्वास को मजबूत करने के लिए किया गया था, लेकिन वादे को समय पर पूरा न करने से किसानों में असंतोष बढ़ रहा है।
2) बैंकों से धन निकासी की समस्या
धान बेचने की अंतिम तिथि नजदीक होने के बावजूद, सरकार द्वारा बैंकों को कोई स्पष्ट निर्देश न देना किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। बैंक से सीमित धन निकासी और रिश्वत जैसी स्थितियों ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है, खासकर जब परिवार में शादी या अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के लिए धन की जरूरत है।
3) चुनाव की तारीखों में बदलाव
चुनाव की तारीखों में संभावित बदलाव और धान के पैसे के वितरण में देरी ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। यह संकेत करता है कि राजनीतिक एजेंडा और किसान कल्याण के बीच तालमेल की कमी है।
4) किसानों का पछतावा
किसानों के बीच सरकार को लेकर निराशा और पछतावा स्पष्ट रूप से सुना जा रहा है। वादों को पूरा न कर पाने की स्थिति में यह भावना आगामी चुनावों में किसानों के रुख को प्रभावित कर सकती है।
सरकार को तुरंत कदम उठाते हुए किसानों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। समय पर धान की खरीद और भुगतान सुनिश्चित करने से न केवल किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि सरकार और किसानों के बीच का भरोसा भी मजबूत होगा। वहीं, चुनाव की तारीखों को पारदर्शी तरीके से तय करना भी आवश्यक है।
