

जैसे ही चुनावी आचार संहिता लागू हुई, पूरे क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। नुक्कड़ों और चौपालों पर चर्चाएं जोरों पर हैं, और जनता अब वार्ड के हिसाब से संभावित प्रत्याशियों की चर्चा में जुट गई है।
नामांकन के बाद माहौल और रोचक होगा

जनता अब नामांकन के बाद प्रत्याशियों की स्थिति पर खास नजर रखेगी। सभी प्रत्याशी टिकट पाने की होड़ में जुट गए हैं। कुछ प्रत्याशियों की स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। सत्ता दल में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जो अपनी जगह तय नहीं कर पाए हैं। पहले कहीं और से चुनाव लड़ने की चर्चा कर रहे थे, अब क्षेत्र बदलकर दूसरी जगह की बात कर रहे हैं।
राम गोपाल तिवारी वार्ड का मामला बना चर्चा का विषय

वार्ड में बाहरी प्रत्याशियों का विरोध भी शुरू हो गया है। हाल ही में राम गोपाल तिवारी वार्ड छोड़कर जाना पड़ा, क्योंकि स्थानीय जनता ने बाहरी प्रत्याशी के तौर पर उनका जोरदार विरोध किया। अब वह नई जगह की तलाश में हैं।
टिकट दावेदारों की धड़कनें तेज
दोनों प्रमुख पार्टियों में टिकट के दावेदारों की धड़कनें बढ़ गई हैं। मान-मनौव्वल का दौर शुरू हो चुका है। हर कोई पार्टी नेतृत्व से टिकट पाने की उम्मीद लगाए बैठा है। अध्यक्ष पद के लिए भी दोनों पार्टियों में कड़ा मुकाबला है। हर पार्टी में अब सिर्फ दो-दो मजबूत दावेदार बचे हैं, जिनमें से किसी एक को टिकट दिया जाएगा।
राज्य बनने के बाद आसान हुआ टिकट प्रक्रिया

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य बनने के बाद टिकट प्रक्रिया पहले के मुकाबले आसान हुई है। पहले प्रत्याशियों को टिकट के लिए भोपाल भागना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हास्य-व्यंग्य में लोग कह रहे हैं कि स्थानीय स्तर पर यह प्रक्रिया कम समय में पूरी हो रही है।
जनता चाहती है जल्द हो टिकट फाइनल
चुनावी मौसम की शुरुआत होते ही जनता अब जल्द से जल्द पार्टियों से प्रत्याशियों की घोषणा चाहती है। चर्चा यह है कि टिकट मिलने के बाद ही चुनावी रणनीतियां और प्रचार अभियान शुरू होंगे।

चुनावी माहौल गरमाने के साथ ही जनता और प्रत्याशी दोनों की गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि दोनों प्रमुख पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों का ऐलान कब करती हैं और किस तरह से चुनावी जंग का मैदान तैयार होता है।