
रायपुर: पुलिस के अमानवीय चेहरे ने किया शर्मसार, बर्खास्त शिक्षिकाएं घायल
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रात में बर्खास्त महिला शिक्षिकाओं पर पुलिस का बर्बर हमला हुआ है, जिससे पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है। रात 11 बजे के करीब सिविल लाइंस क्षेत्र में हुए इस हमले में पांच महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं, जिन्हें डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
### घटना के प्रमुख बिंदु:
– पुलिस का अमानवीय चेहरा: प्रदर्शन के दौरान पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के साथ घसीटते हुए दुर्व्यवहार किया। शिक्षिकाओं में से एक, मेनका उसेंडी ने कहा, “पेट में लात मारी गई और घसीटते हुए ले जाया गया।”
– महिलाओं की हालत गंभीर: लक्ष्मी जुर्री और सीमा तिग्गा की हालत गंभीर बनी हुई है, जो अस्पताल में भर्ती हैं।
– महिला सुरक्षा पर सवाल: इस घटना ने राज्य में महिला सुरक्षा के मुद्दे को और गहरा कर दिया है। क्या सरकारी सुरक्षा बलों की महिलाओं के प्रति ऐसी बर्बरता स्वीकार्य है?
### सरकार और पुलिस का बचाव:
पुलिस विभाग ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा। लेकिन यह स्पष्टीकरण स्थिति की गंभीरता को नहीं छुपा सकता। क्या यह उचित है कि शाम के बाद महिलाओं से निपटने के लिए पुरुष पुलिसकर्मियों का इस्तेमाल किया जाए?
### विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया:
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने सरकार की असंवेदनशीलता पर सवाल उठाए और मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
### आंदोलन की नई लहर:
अब बर्खास्त शिक्षकों का आंदोलन और तेज होने की संभावना बनी हुई है। शिक्षाकर्मी संघ ने इस बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाने की योजना बनाई है।
### अंत में:
यह घटना केवल पुलिस विभाग की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि क्या सरकार अपने अधिकारियों को प्राथमिकता देने के लिए आम जनता की भलाई की अनदेखी कर रही है? लोकतंत्र में ऐसे व्यवहार की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
महिलाएं खुद अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं, उन्हें सुरक्षा की जगह बर्बरता का सामना करना पड़ा। क्या यह वास्तव में सही है?