
मुंगेली (छत्तीसगढ़):
छत्तीसगढ़ की पावन भूमि मुंगेली इन दिनों शिवमय वातावरण से सराबोर हो चुकी है। सुप्रसिद्ध संत एवं कथा वाचक पूज्य गिरिबापु के सान्निध्य में आयोजित ‘शिव कथा 811’ ने पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया है। कथा का यह दूसरा दिन था, और हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया।
भव्य कथा पांडाल को रुद्राक्ष मालाओं, झूमरों एवं शिव स्तोत्रों की दिव्य ध्वनि से सजाया गया है। जैसे ही गिरिबापु ने कथा प्रारंभ की, संपूर्ण वातावरण में एक अनिर्वचनीय आध्यात्मिक तरंग का संचार हुआ।

दूसरे दिन की कथा में गिरिबापु ने नारद जी के क्रोध और शिवगणों को दिए गए श्राप का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि क्रोध में दिया गया श्राप पुण्यों का क्षय कर देता है और विवेक को नष्ट कर देता है। लेकिन उसी क्षण नारद जी को पश्चाताप हुआ, और भगवान विष्णु ने उन्हें शिव भक्ति का मार्ग दिखाया।
गिरिबापु ने कहा, “मौन रहना, ध्यान करना, और शिव का स्मरण ही शिव की सबसे श्रेष्ठ पूजा है। फूल, बेलपत्र, और जल तो प्रतीक हैं — परंतु मौन ध्यान ही आत्मा को शिव से जोड़ता है।”
रुद्राक्ष की महिमा पर प्रकाश:
गिरिबापु ने एकमुखी से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि इसका प्रयोग तभी फलदायक होता है जब साधक संयमित जीवन जिए। मांसाहार और मद्यपान करने वालों के लिए रुद्राक्ष व्यर्थ है।
श्रद्धालुओं का अपार उत्साह:
इस दिव्य आयोजन में न केवल मुंगेली, बल्कि आसपास के जिलों एवं अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। पांडाल में भक्ति, शांति और शिव भाव का गहन अनुभव किया जा रहा है। कई भक्तों ने यह भी बताया कि उन्हें कथा के दौरान आध्यात्मिक ऊर्जा का सजीव अनुभव हुआ।
ऑनलाइन प्रसारण से जुड़े देश-विदेश के श्रद्धालु:
इस आयोजन का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनल पर भी किया जा रहा है, जिससे भारत ही नहीं, विदेशों में बसे श्रद्धालु भी इस शिव कथा से जुड़ पा रहे हैं।
11 जून तक चलेगी शिव कथा:
यह ‘शिव कथा 811’ 11 जून तक प्रतिदिन चलेगी। कथा के आने वाले दिनों में शिव-पार्वती विवाह, अर्जुन को पाशुपत अस्त्र प्राप्ति, रावण की शिव भक्ति जैसे गूढ़ प्रसंगों का विस्तृत वर्णन किया जाएगा।