
बिलासपुर | 16 अक्टूबर 2025,मस्तूरी विकासखंड के ग्राम सुकुलकारी से एक दर्दनाक और चिंताजनक खबर सामने आई है। गौठान के बाहर खेतों और खुले मैदान में दो दर्जन से अधिक गायों के शव पड़े मिले हैं, जबकि कई मरणासन्न अवस्था में तड़पती नजर आईं। गांव में फैली इस भयावह तस्वीर ने न केवल ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गौठान के बाहर बिखरी लाशें, तड़पती गायें
ग्राम सुकुलकारी के गौठान के बाहर बड़ी संख्या में मरी हुई और तड़पती गायों का दृश्य देखकर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों का आरोप है कि गौठान में कई दिनों से चारा-पानी की भारी कमी है, सफाई व्यवस्था बदहाल है और प्रशासनिक अमला पूरी तरह मौन है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, “सरपंच और सचिव को घटना की जानकारी पहले से थी, लेकिन न तो कोई मौके पर पहुंचा और न ही राहत की कोई कोशिश की गई।”ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मौतें संभवतः किसी जहरीले पदार्थ के सेवन या विषैले जीव के संपर्क में आने से हो सकती हैं, लेकिन समय पर इलाज और देखभाल न होने से स्थिति और भी गंभीर हो गई।
गौधाम समिति अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे पहुंचे मौके पर
घटना की सूचना मिलते ही जिला गौधाम समिति के अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा —
“गौमाता की ऐसी स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक असफलता है, बल्कि मानवता पर कलंक है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
दुबे ने मौके से ही गौरक्षा नोडल अधिकारी डॉ. बी.पी. सोनी को घटना की विस्तृत जानकारी दी और शासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने संयुक्त संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं बिलासपुर, मस्तूरी प्रशासन और थाना प्रभारी को रिपोर्ट सौंपने व दोषियों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
शासन हरकत में — जांच टीम गठित
घटना की पुष्टि के बाद संयुक्त संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं बिलासपुर ने 15 अक्टूबर को पत्र जारी कर जांच टीम गठित कर दी है। आदेश में टीम को घटनास्थल का निरीक्षण कर मृत एवं बीमार गोवंश की संख्या, एफआईआर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और तथ्यात्मक विवरण तत्काल शासन को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
“गौमाता की रक्षा में कोई समझौता नहीं” — दुबे
धीरेन्द्र दुबे ने स्पष्ट कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है। यदि किसी अधिकारी, कर्मचारी या जिम्मेदार व्यक्ति की लापरवाही पाई जाती है तो कठोर कार्रवाई की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा —
“गौसेवा योजनाएं तभी सार्थक होंगी जब ज़मीन पर ईमानदारी से लागू की जाएं। इस घटना ने तंत्र की पोल खोल दी है।”
लाखों खर्च — ज़मीन पर ‘मौत का गौठान’
राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए गौठानों की सच्चाई सुकुलकारी में उजागर हो गई है। न चारा-पानी की व्यवस्था, न चिकित्सकीय सुविधा और न कोई जिम्मेदारी तय। ग्रामीणों का कहना है — “कागज़ पर गौसेवा, ज़मीन पर मौत। यही अफसरशाही का असली चेहरा है।”
राजनीतिक घमासान शुरू
कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया पर घटना के वीडियो और तस्वीरें साझा कर राज्य सरकार की पशु कल्याण नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि —
“गौमाता के नाम पर सरकार केवल राजनीति कर रही है। वीडियो में दिखाई