
CM हाउस से मिली अनुशंसा का हवाला देकर सांसद ने खाली करने से किया इनकार, प्रशासन और PWD दो साल से प्रयास में
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक सरकारी बंगले को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सिविल लाइन स्थित जिस बंगले को गृह विभाग ने SSP कार्यालय के लिए 30 जनवरी 2025 को आधिकारिक तौर पर आवंटित किया था, उस पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह देव ने कब्जा जमा लिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने गेट पर अपने नाम की पांच नेम प्लेट भी लगवा दी हैं, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि वे इस बंगले को अब अपना मान चुके हैं।
बंगले की पृष्ठभूमि:
यह बंगला पहले कांग्रेस नेता और तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम को आवंटित था। उन्होंने इसे 2024 में खाली कर दिया था। इसके बाद गृह विभाग ने इसे SSP कार्यालय के लिए चिन्हित किया। PWD ने इसकी मरम्मत और रंगाई-पुताई भी पूरी कर दी थी। SSP ऑफिस को वर्तमान स्थान से स्थानांतरित कर इस बंगले में शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी क्योंकि कलेक्टरेट परिसर में नई कम्पोजिट बिल्डिंग निर्माणाधीन है।
सांसद का दावा और विवाद की जड़:
राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह देव, जिन्हें बीजेपी ने अप्रैल 2024 में संसद भेजा था, को अब तक राजधानी में कोई बंगला आवंटित नहीं हुआ था। उन्होंने इस बंगले को पसंद किया और सीधे कब्जा कर लिया। जब SSP लाल उम्मेद सिंह ने उनसे संपर्क किया, तो सांसद ने जवाब दिया कि “सीएम हाउस से मेरे लिए अनुशंसा हुई है, मैं खाली नहीं करूंगा।”

प्रशासन की चुनौती:
PWD और जिला प्रशासन पिछले दो वर्षों से बंगले को SSP कार्यालय में बदलने के प्रयास कर रहे हैं। अब तक 6 बार चिट्ठी-पत्री की जा चुकी है, लेकिन सांसद के अड़े रहने से SSP ऑफिस के लिए स्थानांतरण संभव नहीं हो पा रहा है।
निष्कर्ष:
यह मामला अब राजनीतिक और प्रशासनिक टकराव का कारण बनता जा रहा है। राज्य सरकार और प्रशासन के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस विवाद को किस तरह सुलझाते हैं। वहीं, आम जनता के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या नियम और आदेश सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गए हैं?