
छत्तीसगढ़ में नए साल के पहले दिन B.Ed सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया। रायपुर में सैकड़ों शिक्षकों ने सड़कों पर उतरकर कई स्थानों पर जाम लगाया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने 30 से अधिक शिक्षकों को हिरासत में लिया। उन पर बिना अनुमति प्रदर्शन करने और कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में तोड़फोड़ का आरोप है।
हाईकोर्ट के आदेश ने बढ़ाया विवाद
यह विवाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अप्रैल 2024 के एक आदेश से शुरू हुआ। कोर्ट ने 2,855 B.Ed योग्य सहायक शिक्षकों के स्थान पर D.Ed (D.El.Ed) योग्यताधारी अभ्यर्थियों की नियुक्ति का निर्देश दिया था। अदालत ने शिक्षा विभाग को यह प्रक्रिया दो सप्ताह में पूरी करने को कहा था।
हालांकि, विभाग की ओर से समय पर कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट ने इसे अवमानना मानते हुए 12 दिसंबर को सख्त चेतावनी दी और दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया।
B.Ed शिक्षकों की नाराजगी और मांगें
B.Ed योग्यताधारी सहायक शिक्षक इस आदेश को अन्यायपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि यह निर्णय उनके और उनके परिवारों के लिए गंभीर संकट पैदा कर रहा है।
मुख्य मांग: नौकरी से हटाने का फैसला वापस लिया जाए।
हाईकोर्ट आदेश पर पुनर्विचार: शिक्षकों का आग्रह है कि सरकार इस आदेश को चुनौती दे और B.Ed शिक्षकों को सेवा में बनाए रखे।
प्रदर्शन ने लिया उग्र रूप
प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने रायपुर में भाजपा प्रदेश कार्यालय के पास धरना दिया और गेट तोड़ने का भी प्रयास किया। स्थिति बिगड़ने पर माना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 30 शिक्षकों को हिरासत में लिया। प्रदर्शनकारियों पर बिना अनुमति रैली निकालने और परिसर में तोड़फोड़ करने के आरोप में प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सरकार के लिए बड़ी चुनौती
यह मामला राज्य सरकार के लिए गंभीर संकट बन चुका है। एक तरफ हाईकोर्ट का आदेश है, तो दूसरी तरफ शिक्षकों का बढ़ता आक्रोश।
BJP ने सरकार को घेरा
BJP ने इस आंदोलन को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। पार्टी ने इसे शिक्षकों के साथ अन्याय बताया और सरकार से तत्काल समाधान की मांग की। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा, “शिक्षकों को नए साल का यह तोहफा कांग्रेस सरकार की लापरवाही का नतीजा है।”
अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस विवाद को कैसे सुलझाती है और शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाती है।