
मुख्य बिंदु:
1. कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देरी:
छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायत चुनाव की तारीख तय करने में सरकार कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में उलझी हुई है। कई क्षेत्रों में परिसीमन, आरक्षण, और मतदाता सूची के अद्यतन में देरी हो रही है।
2. परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया अधूरी:
राज्य में कई जगह परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। सरकार इन प्रक्रियाओं को जल्द पूरा करने का दावा कर रही है, लेकिन इसे लेकर स्पष्ट समय सीमा तय नहीं हो पाई है।
3. राजनीतिक असहमति:
विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार अपनी राजनीतिक गणना के कारण चुनाव में देरी कर रही है। उनका कहना है कि सरकार चुनावी समीकरण साधने और सत्ता बनाए रखने के लिए रणनीतिक निर्णय ले रही है।
4. प्रशासनिक तैयारियों की कमी:
राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि चुनाव कराने के लिए प्रशासनिक तैयारी अभी अधूरी है। मतदाता सूची का सत्यापन और बूथों की पहचान में भी समय लग रहा है।
5. वित्तीय बाधाएं:
राज्य सरकार को चुनाव कराने के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत और निकाय चुनावों के लिए बड़ी राशि की आवश्यकता होती है, जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है।
विपक्ष का आरोप:
विपक्षी दलों ने सरकार पर चुनाव को जानबूझकर टालने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार ग्रामीण इलाकों में जनता के विरोध के कारण चुनाव कराने से बच रही है।
सरकार का पक्ष:
सरकार का कहना है कि वह प्रक्रिया को पारदर्शी और कानून सम्मत बनाना चाहती है, जिसके चलते कुछ समय लग रहा है। मुख्यमंत्री ने जल्द तारीख तय करने का भरोसा दिलाया है।
आगे की राह:
राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार को जल्द प्रक्रियाएं पूरी करने का निर्देश दिया है। उम्मीद है कि आगामी हफ्तों में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो सकती है।