मुंगेली: छत्तीसगढ़ में चुनावी माहौल चरम पर है। हर गली-मोहल्ले में चुनावी तैयारी का जुनून साफ नजर आ रहा है। पंच, सरपंच, जनपद सदस्य, जिला सदस्य और पार्षद के आरक्षण घोषित होते ही उम्मीदवारों का सियासी मैदान में उतरना शुरू हो गया है।
प्रिंटर दुकानों पर भीड़, बायोडाटा बनवाने की होड़
प्रिंटर की दुकानों पर उम्मीदवारों की कतारें लगी हैं। हर कोई अपने चुनावी बायोडाटा को चमकाने में जुटा हुआ है। कहीं हॉफ जैकेट, तो कहीं कुर्ता-पायजामा पहनकर नेता बनने की चाह लिए लोग नमस्ते और अभिवादन करते नजर आ रहे हैं।
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विनम्रता के नए रंग: “क्या पता कब कौन काम आ जाए?”
चुनावी माहौल ने आम लोगों के व्यवहार में भी बदलाव ला दिया है। लोग बिना जान-पहचान के भी विनम्रता से एक-दूसरे का अभिवादन कर रहे हैं। आखिर, कौन कब काम आ जाए, इसका भरोसा नहीं!
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जाति-समाज पर भारी विकास?
हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में जाति और समाज का मुद्दा हावी है। जनता अब भी विकास को नजरअंदाज कर सिर्फ अपने समाज के प्रत्याशियों को वोट देने की मानसिकता में फंसी हुई है।
जनता से अपील: सोच-समझकर करें मतदान
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चुनाव में जीतने वाले वही होंगे जो जनता के विकास के लिए ईमानदारी से काम करें। ऐसे में जरूरी है कि जाति और समाज से ऊपर उठकर उन उम्मीदवारों को चुना जाए, जो क्षेत्र का सही मायनों में विकास कर सकें।
पत्नी को मनाने की कवायद
गांव और कस्बों में कई महिलाएं चुनाव लड़ने को लेकर उत्साहित नहीं हैं, लेकिन पतिदेव उन्हें तैयार करने के लिए जी-जान लगा रहे हैं। कोई घर का सारा काम खुद संभालने का वादा कर रहा है, तो कोई चुनाव प्रचार में पत्नी का साथ देने का भरोसा दे रहा है
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आने वाले दिन और रोमांचक होंगे
जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आएगी, चुनावी रंग और गहरे होंगे। गली-गली में प्रत्याशियों की रैलियां, सभाएं और वादों की बौछार देखने को मिलेगी। लेकिन सवाल यह है कि इस बार जनता किसे चुनेगी—जाति-समाज के आधार पर या विकास के एजेंडे पर?
चुनाव की हर खबर पर नजर बनाए रखें, क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ कुर्सी की नहीं, बल्कि क्षेत्र के भविष्य की है!