
लोरमी/सुकली। समीपस्थ ग्राम सुकली में सावन अमावस्या के पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली तिहार बड़े ही हर्षोल्लास और पारंपरिक अंदाज़ में मनाया गया। गांव में चारों ओर हरियाली और उत्साह का माहौल रहा।
ग्राम के शिक्षक एवं समाजसेवी उमाशंकर सिंह ने बताया कि इस दिन किसानों ने अपने घरों में कृषि औजारों की पूजा की। कुदाली, फावड़ा, गैंती, कोपर, दतरी, टंगिया, बसूला, सब्बल, हल एवं बैलों की पूजा विधि-विधान से की गई। पूजा के बाद नारियल, छत्तीसगढ़ी व्यंजन गुलगुल भजिया और गुड़हा चीला का भोग अर्पित किया गया। साथ ही गेड़ी की भी पूजा की गई।
ग्राम के चरवाहों ने घर-घर जाकर द्वार पर सतावर एवं नीम के पत्ते लगाए और किसानों ने उन्हें अन्न व पैसे दान में दिए। इस दिन की खास परंपरा गेड़ी चढ़ना भी देखने को मिली। आज के आधुनिक दौर में यह परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है, लेकिन सुकली के बच्चों ने इसे जीवंत कर दिया। बांस से बनी विशेष गेड़ियों पर चढ़कर बच्चों की टोली गांव की गलियों में इठलाती नजर आई।
इसके अलावा बच्चों ने फुगड़ी खेल का भी खूब आनंद लिया। किसानों ने इस अवसर पर अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा कर गांव में सुख-समृद्धि और अच्छी फसल की कामना की।
इस मौके पर सोमी, श्रेया, प्राची, निधि, वासु, अभय, हरिओम, तुषार, वीरा, दिव्यानी, प्रकृति सहित कई बच्चों ने उत्साह के साथ इस परंपरागत पर्व को मनाया। गांव में चारों ओर खुशी और उत्सव का माहौल छाया रहा।