
मुंगेली, छत्तीसगढ़:
अंतरराष्ट्रीय शिवमहापुराण वाचक गिरी बापू की 811वीं कथा का आज नवम दिवस विश्राम दिवस के रूप में मनाया गया। मुख्य यजमान मिथिलेश केसरवानी एवं कनक केसरवानी के संकल्प और अथक प्रयासों से यह आयोजन न केवल नगर बल्कि आसपास के गांवों तक शिवभक्ति का स्रोत बन गया।


श्रद्धालुओं का जनसैलाब पंडाल में उमड़ पड़ा, हर श्रोता के मुख से यही निकल रहा था – “ऐसा अद्भुत शिवमहापुराण पहले कभी नहीं सुना।” कथा की आध्यात्मिकता से पूरा वातावरण शिवमय हो गया।
आज के विश्राम दिवस में भी कथा का संक्षिप्त वर्णन हुआ जिसमें 12 ज्योतिर्लिंग की महिमा, पंच केदार की कथा और शिवभक्ति के महत्व को बताया गया। गिरी बापू ने कहा –
“ॐ नमः शिवाय का जाप किसी भी अवस्था में किया जा सकता है। भगवान राम ने भी लंका विजय से पूर्व पार्थिव शिवलिंग की पूजा की थी, जो आगे चलकर रामेश्वर ज्योतिर्लिंग कहलाया।”

उन्होंने त्र्यंबकेश्वर, महाकाल, मल्लिकार्जुन और तुंगनाथ जैसे पवित्र स्थलों का भी उल्लेख किया और कहा कि “महादेव टोटकों के देव नहीं, वे कर्म के देव हैं।” उन्होंने भक्तों से आग्रह किया कि वे रक्तदान और मतदान जैसे दो पुण्य कार्यों को जीवन में अपनाएं।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में दिनानाथ केशरवानी, संतोष केशरवानी, आनंद केशरवानी, नवीन केशरवानी का विशेष योगदान रहा। गिरी बापू ने समस्त नगरवासियों और आयोजक परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा –
“आप सभी के सहयोग से महादेव की यह दिव्य कथा जन-जन तक पहुंची, आप सभी को शिव कृपा सदा प्राप्त हो।”

इस पावन आयोजन ने न केवल श्रद्धालुओं के हृदय को छुआ, बल्कि जीवन के आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों का बोध भी कराया।