
छत्तीसगढ़ टाईम्स न्यूज़ छत्तीसगढ़ में चावल कस्टम मिलिंग भुगतान को लेकर राज्य सरकार और राइस मिलर्स के बीच विवाद गहराता जा रहा है। इस विवाद के बीच आज रायपुर, धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव समेत कई जिलों में खाद्य विभाग ने राइस मिलों पर छापेमारी की और कुछ मिलों को सील कर दिया।
इस कार्रवाई में रायपुर के बीजेपी सांसद बृजमोहन अग्रवाल के भतीजे की गौरी राइस मिल, गरियाबंद के बीजेपी नगर पालिका अध्यक्ष गफ्फू मेमन की मिल, और राइस मिलर एसोसिएशन के महामंत्री प्रमोद जैन और विजय तायल की मिलों पर भी छापा मारा गया और कुछ को सील कर दिया गया।
विवाद की पृष्ठभूमि
राज्य सरकार और राइस मिलर्स के बीच कस्टम मिलिंग भुगतान के नियमों को लेकर लंबे समय से असहमति चल रही है। साथ ही, धान खरीदी केंद्रों से राइस मिलरों द्वारा धान उठाने में हो रही देरी ने समस्या को और जटिल बना दिया है। इस मुद्दे पर कल उपमुख्यमंत्री अरुण साव, वित्त मंत्री ओपी चौधरी और मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बैठक की थी। बैठक के बाद कुछ जिलों के राइस मिलरों के साथ भी चर्चा हुई थी, जिसमें मिलरों को जल्द से जल्द धान उठाने के निर्देश दिए गए थे।
मिलर्स का आरोप
छत्तीसगढ़ राइस मिल एसोसिएशन का आरोप है कि सरकार उन पर कस्टम मिलिंग के लिए दबाव बना रही है और छापेमारी के जरिए भय का माहौल पैदा कर रही है। उनका कहना है कि सरकार ने किए गए वादों को पूरा नहीं किया है, जिसके विरोध में राइस मिलर्स “असहयोग आंदोलन” चला रहे हैं।
सरकार की कार्रवाई
खाद्य विभाग का कहना है कि राइस मिलर्स कस्टम मिलिंग के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और इसलिए छापेमारी की कार्रवाई की गई है। रायपुर, धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव की कई राइस मिलों में छापेमारी कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
यह विवाद सरकार और मिलर्स के बीच तालमेल की कमी और आपसी विश्वास के संकट को दर्शाता है। फिलहाल, दोनों पक्षों के बीच कोई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है, और इस गतिरोध के कारण राज्य में धान खरीदी और चावल मिलिंग की प्रक्रिया बाधित हो रही है।