
1. नगर निगम और नगर पालिका संशोधन विधेयक पारित
छत्तीसगढ़ विधानसभा में नगर निगम और नगर पालिका संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। नगरीय प्रशासन मंत्री और डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि इस संशोधन से महापौर और नगर पंचायत अध्यक्ष बेखौफ और निडर होकर काम कर सकेंगे। अब महापौर, नगर पंचायत और नगरपालिका अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा।
2. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ होंगे
नए संशोधन के अनुसार, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। निकाय का कार्यकाल समाप्त होने पर 6 महीने के लिए प्रशासक नियुक्त किया जा सकेगा। महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से करने का प्रावधान किया गया है।
3. ओबीसी आरक्षण का नियम लागू
नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण अधिकतम 50% तक सीमित रहेगा। इस नियम के लागू होने से ओबीसी को आरक्षण के दायरे में लाया गया है।
4. विपक्ष ने विधेयक को बताया ‘संविधान के खिलाफ‘
विपक्ष ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया। कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए विधि विशेषज्ञों की राय लेने की मांग की। विधायक राघवेन्द्र सिंह ने भी कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान के विपरीत है और इसे सदन में पेश करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
5. विपक्ष का सदन से वॉकआउट
विधेयक के विरोध में विपक्ष ने विधानसभा से वॉकआउट किया। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि वे संविधान के विपरीत विधेयक पारित नहीं होने देंगे और विधेयक पेश होने के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहेंगे। हालांकि, विधेयक को आसंदी की अनुमति मिल गई और इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
6. ‘लोकतांत्रिक निकायों को मजबूती मिलेगी’
डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि 2019 तक चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होते थे, लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद महापौर और अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने लगा, जिससे महापौरों को डरकर काम करना पड़ता था। अब नए संशोधन से महापौर और अध्यक्ष स्वतंत्र रूप से काम कर सकेंगे, जिससे नगरीय निकायों को मजबूती मिलेगी।