
मुंगेली, 14 अगस्त 2025 //
दिल्ली के लाखों मासूम, बेजुबान कुत्तों को सड़कों से उठाकर 8 सप्ताह के भीतर एक जगह कैद करने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने देशभर में संवेदनशील लोगों के दिलों को झकझोर दिया है। इसी फैसले के विरोध में आज मुंगेली की सड़कों पर एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला—हाथों में तख्तियां, आंखों में आंसू और दिल में दर्द लिए पशु प्रेमियों का जनसैलाब।

पैदल मार्च में शामिल लोगों ने नारे लगाए—“जीने का हक सबको मिले”, “बेजुबानों पर जुल्म बंद करो”—और राहगीरों को बताया कि इंसान की तरह हर जीव को भी इस धरती पर जीने का अधिकार है।
आयोजकों का कहना था कि यह कदम न केवल पशु अधिकारों के खिलाफ है, बल्कि इंसानियत के अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा करता है। उनका मानना है कि समाधान कैद नहीं, बल्कि मानवीय और टिकाऊ उपाय होने चाहिए।

मार्च के अंत में सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में सरकार और न्यायालय से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और बेजुबानों के हित में संवेदनशील कदम उठाने की अपील की।