
मूंगेली। रानीदहारा जलप्रपात में रविवार का दिन एक भयावह कहानी बन गया—एक युवक नरेंद्र पाल ने बहादुरी दिखाते हुए दूसरों की जान बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवाई और दूसरा युवक, 22 वर्षीय फैशन डिज़ाइनर सृजन पाठक, रहस्यमय परिस्थितियों में पानी में समा गया।
परिवार, दोस्त और पूरा शहर सन्न है… लेकिन सवालों की गूंज हर ओर है।
👉 क्या सचमुच सब कुछ एक हादसा था?
सृजन के परिवार का कहना है कि उसकी मौत दोपहर 1 से 2 बजे के बीच हुई।
तो फिर जिम ग्रुप में शामिल उसके साथियों ने तुरंत परिवार को सूचना क्यों नहीं दी?
👉 शासकीय जिम के तीन-तीन ट्रेनर वहां मौजूद थे, जिनमें से एक आरक्षक भी है।
जब घटना सामने आई तो क्या जिम्मेदारी सिर्फ तमाशा देखने की थी?
क्यों उन्होंने सृजन के परिवार को फोन नहीं किया?
👉 आखिर क्यों कई घंटों बाद सूचना दी गई?
परिवार का आरोप है कि समूह के बाकी लोग भी समय रहते सच छुपाते रहे।
क्या कोई और सच्चाई दबाई जा रही है?
स्थानीय लोग और परिजन अब खुलकर सवाल उठा रहे हैं—
“जब तीन-तीन ट्रेनर साथ थे, तो सुरक्षा का ध्यान किसने रखा?”
“पुलिस को घटना की जानकारी तुरंत क्यों नहीं दी गई?”
“क्या जिम ग्रुप में मौजूद किसी ने लापरवाही की?”
“क्या सृजन की मौत के पीछे कोई और वजह तो नहीं?”
अब परिजन साफ शब्दों में मांग कर रहे हैं कि जिम के तीनों ट्रेनरों और पूरे ग्रुप की भूमिका की गहराई से जांच हो।
पुलिस ने भी हर एंगल से जांच की बात कही है, लेकिन जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, रानीदहारा की लहरों में डूबा यह रहस्य लोगों के दिलों को झकझोरता रहेगा।
एक ही दिन में दो मौतें और अनगिनत सवाल—क्या मिलेगी जवाबों की धार?
👉 जिम के तीनों ट्रेनर वहीँ मौजूद थे, एक तो आरक्षक भी है, फिर भी परिवार को समय पर सूचना क्यों नहीं दी गई?
👉 सृजन पानी में बह गया तो क्या सभी ट्रेनर और सदस्य उसे बचाने में लगे थे या तमाशा देख रहे थे?
👉 क्या किसी ने पहले खतरे की चेतावनी दी थी?
👉 घटना दोपहर 1–2 बजे की बताई जा रही है, लेकिन परिवार को कई घंटों बाद क्यों बताया गया?
👉 क्या ग्रुप के बाकी सदस्य और ट्रेनर किसी सच्चाई को छुपा रहे हैं?
👉 क्यों पूरी ग्रुप की भूमिका पर कोई अब तक साफ जवाब नहीं दे रहा?
और अब एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है—
👉 परिजनों का कहना है कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद एक ट्रेनर ने उसी दिन का ब्लॉग इंस्टाग्राम पर डाल दिया!
👉 क्या किसी की मौत के बाद भी दिखावे की खुशी दिखाना बेशर्मी नहीं है?
👉 हालांकि अब वह पोस्ट डिलीट कर दिया गया है, लेकिन सवाल तो यही है—
जब एक युवक की जान चली गई, दूसरे की जिंदगी खत्म हो गई, तो क्या उस ग्रुप और ट्रेनर को जरा भी दुख नहीं?
क्या संवेदनाओं से ज्यादा अहम सोशल मीडिया पर दिखावा करना था?
परिजनों का साफ आरोप है—
“जिम के ट्रेनर ही बच्चों को लेकर गए थे, तो जिम्मेदारी भी उन्हीं की बनती है। लेकिन यहां तो किसी ने दर्द समझना तो दूर, इंस्टाग्राम पर ब्लॉग तक डाल दिया।”