
बिलासपुर: आदिवासी जमीन की रजिस्ट्री मामले में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बिलासपुर कमिश्नर महादेव कावड़े द्वारा डिप्टी रजिस्ट्रार प्रतीक खेमका को निलंबित करने के बाद रजिस्ट्री अधिकारी-कर्मचारी संघ ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। संघ ने आरोप लगाया है कि कलेक्टरों की आदेश प्रणाली के कारण ऐसा खेल राज्यभर में लंबे समय से चल रहा है, और सिर्फ एक अधिकारी को बलि का बकरा बनाना गलत है।
क्या है मामला?
सक्ती जिले में आदिवासी जमीन की रजिस्ट्री का मामला तब तूल पकड़ गया जब कलेक्टर अमृत टोपनो ने आदेश जारी किया कि “डायवर्टेड आदिवासी जमीन की रजिस्ट्री के लिए कलेक्टर की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।” इसी आदेश के तहत डिप्टी रजिस्ट्रार प्रतीक खेमका ने रजिस्ट्री की, लेकिन मामला बिलासपुर कमिश्नर महादेव कावड़े के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने डिप्टी रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया।
संघ ने किया पलटवार
छत्तीसगढ़ पंजीयन एवं मुद्रांक संघ ने इस कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया है। संघ का कहना है कि “डायवर्टेड लैंड की रजिस्ट्री के मामलों में स्वयं कलेक्टर लिखित में अनुमति की आवश्यकता नहीं होने की बात कहते हैं।” ऐसे में सिर्फ उप पंजीयक को निलंबित करना अन्यायपूर्ण है। संघ ने चेतावनी दी है कि अगर सोमवार तक प्रतीक खेमका का निलंबन आदेश वापस नहीं लिया गया, तो संघ सामूहिक अवकाश पर जाएगा और उग्र विरोध प्रदर्शन करेगा।
बड़ा सवाल: क्या कलेक्टर भी होंगे निलंबित?
संघ ने कलेक्टरों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले डेढ़ दशक में हजारों की संख्या में डायवर्टेड ट्राइबल लैंड की रजिस्ट्री बिना अनुमति के हुई है। संघ ने पूछा, “क्या ऐसे में सभी कलेक्टरों को भी सस्पेंड किया जाएगा?”
निलंबन पर उठ रहे सवाल
संघ का कहना है कि डिप्टी रजिस्ट्रार ने कलेक्टर के आदेश का पालन करते हुए रजिस्ट्री की और इसमें किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ। बिलासपुर कमिश्नर पर आरोप लगाते हुए संघ ने कहा कि उन्होंने बिना सुनवाई का मौका दिए प्रतीक खेमका को निलंबित कर दिया, जो कि कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को हतोत्साहित करने वाला कदम है।
क्या सरकार लेगी बड़ा फैसला?
इस पूरे मामले ने कलेक्टरों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। संघ का दावा है कि डायवर्टेड लैंड की रजिस्ट्री पर पूरे प्रदेश में इसी तरह काम हो रहा है। अगर जांच हुई तो वर्तमान से लेकर पूर्व कलेक्टर तक इसकी जद में आ सकते हैं।
संघ की चेतावनी
संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र श्रीवास ने चेतावनी दी है कि अगर निलंबन आदेश जल्द वापस नहीं लिया गया तो राज्यभर में रजिस्ट्री सेवाएं ठप कर दी जाएंगी और कड़ा आंदोलन किया जाएगा।
सरकार पर बढ़ा दबाव
इस मामले में अब सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या सरकार कलेक्टरों की कार्यशैली की जांच करेगी या फिर इस मामले को शांत करने के लिए निलंबन पर पुनर्विचार करेगी? मामला अब तूल पकड़ चुका है और इसका असर प्रदेशभर में देखने को मिल सकता है।