
मुंगेली। जिले में अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग कलेक्टोरेट स्थित जनदर्शन कक्ष में भारी पुलिस सुरक्षा के बीच सम्पन्न हुई। प्राथमिक शाला के 164 सहायक शिक्षक और 1 प्रधानपाठक की पदस्थापना प्रक्रिया के दौरान जिला प्रशासन ने त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की थी। मुख्य द्वार पर मेटल डिटेक्टर और जवानों की तैनाती के साथ केवल सूचीबद्ध शिक्षकों को ही अंदर जाने की अनुमति दी गई।
हालांकि, इस दौरान शिक्षक साझा मंच के प्रदेश सह-संचालक संजय उपाध्याय और मोहन लहरी सहित अन्य शिक्षक नेताओं को काउंसलिंग स्थल में प्रवेश नहीं दिया गया, जिससे नाराज शिक्षकों ने जिला प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शासन के स्पष्ट निर्देशों की अवहेलना करते हुए काउंसलिंग की गई है।

शिक्षक नेताओं का आरोप है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत दर्ज बच्चों की संख्या को दरकिनार कर अतिशेष शिक्षकों की सूची बनाई गई। वहीं शासन के नियमानुसार दिव्यांग शिक्षकों को अतिशेष की सूची से बाहर रखा जाना चाहिए, लेकिन एक दिव्यांग महिला व्याख्याता को सूची में शामिल किया गया, जिसकी आपत्ति पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इसके अलावा वरीयता सूची में भी कई विसंगतियां पाई गईं, जिन पर दावा-आपत्ति के बाद सुधार किया जाना था, लेकिन प्रशासन ने इस प्रक्रिया की अनदेखी की। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर शिक्षक साझा मंच ने विरोध प्रदर्शन किया और मामले को उच्च न्यायालय में ले जाने की चेतावनी दी है।
इस विरोध में जिला संचालक दीपक वेंताल, बलराज सिंह, लक्ष्मीकांत जडेजा, रमन शर्मा, बलजीत सिंह कांत, नेमी चंद भास्कर, मनोज कश्यप, मनोज अंचल, अखिलेश शर्मा, शैलेन्द्र ध्रुव, विश्वनाथ राजपूत, जितेंद्र धृतलहरे सहित साझा मंच के सैकड़ों शिक्षक शामिल हुए।
साझा मंच ने इस प्रक्रिया को राज्य में प्रशासनिक तानाशाही का उदाहरण बताया और शिक्षक हितों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है।