
मुंगेली– छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने मिस्र में अपनी संस्कृति की अनूठी छाप छोड़ी है। मुंगेली जिले के ग्राम बुचीपारा निवासी डॉ. हरेंद्र टोंडे ने अपने साथियों के साथ मिलकर विश्व की सबसे लंबी नील नदी के किनारे तिरंगा फहराया और छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया।

डॉ. हरेंद्र टोंडे छत्तीसगढ़ पी. डी. पंथी परिवार के सदस्य हैं और अपनी टीम के साथ मिस्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 13 से 24 फरवरी तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव में उन्होंने पंथी नृत्य सहित सुवा, बस्तर प्रसिद्ध, कर्मा नृत्य, राउत नाचा, डंडा नृत्य, गौरी गौरा जैसे छत्तीसगढ़ी नृत्यों की प्रस्तुति दी।

इस ऐतिहासिक अवसर पर श्री पुनदास जोशी, मनोज केशकर,रामा बंजारे, अलका मिंज, मुस्कान, आकांक्षा वर्मा, आकांक्षा केसरवानी सहित कई कलाकारों ने भाग लिया। यह टीम इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वर्तमान और पूर्व छात्रों से मिलकर बनी है।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति को विश्व पटल पर लाने का गौरव
छत्तीसगढ़ पी. डी. पंथी परिवार के बैनर तले मिस्र पहुंचे इन कलाकारों ने न केवल अपनी लोककला का प्रदर्शन किया बल्कि अपने देश और राज्य का सम्मान भी बढ़ाया। लोक नृत्य की प्रस्तुतियों ने वहां के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
डॉ. हरेंद्र टोंडे और उनकी टीम की इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के कला प्रेमियों में उत्साह है। यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय लोककला के वैश्विक प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।