
विश्लेषण: छत्तीसगढ़ में दो CMO समेत पांच अधिकारियों का निलंबन
घटना का सारांश
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ नगर पालिका परिषद में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। कांग्रेस शासनकाल के दौरान फरवरी 2021 से अगस्त 2023 के बीच इस अनियमितता की शिकायत की गई थी। जांच के बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए दो तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारियों (CMO) यमन देवांगन और प्रमोद शुक्ला समेत पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इन अधिकारियों में दो उप अभियंता (रितेश स्थापक और किशोर ठाकुर) और एक लेखापाल (दीपा भिवगढ़े) भी शामिल हैं।
कार्रवाई की पृष्ठभूमि
शिकायत और जांच के आदेश: फरवरी 2024 में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज की गई थी। अप्रैल 2024 में उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने नगरीय प्रशासन विभाग को जांच के निर्देश दिए।
जांच प्रक्रिया: जून 2024 में दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया, जिसने अक्टूबर 2024 में अपनी रिपोर्ट दी।
अधिकारी दोषी करार: रिपोर्ट में आर्थिक अनियमितताओं के लिए दोषी पाए गए अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।
निलंबन और बर्खास्तगी: कार्रवाई के तहत 9 दिसंबर 2024 को विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। प्लेसमेंट कर्मचारी जयेस सहारे को भी बर्खास्त कर दिया गया है।
भ्रष्टाचार का स्वरूप
डोंगरगढ़ नगर पालिका के इन अधिकारियों पर वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप है। भ्रष्टाचार के अंतर्गत निम्नलिखित संभावनाएं हो सकती हैं:
भुगतान प्रक्रिया में अनियमितता: कार्यों के लिए बिना उचित प्रक्रियाओं के भुगतान करना।
फर्जी बिल या भुगतान: अनुचित तरीके से फर्जी बिल प्रस्तुत करना और भुगतान लेना।
निर्माण कार्यों में गड़बड़ी: निर्माण कार्यों में कम गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग या बिना काम किए भुगतान दिखाना।
प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता की कमी: सरकारी परियोजनाओं में पारदर्शिता का अभाव और प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग।
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सरकार की कार्रवाई
छत्तीसगढ़ सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।
तत्काल कार्रवाई: मंत्री द्वारा 9 दिसंबर को अनुमोदन के बाद अगले ही दिन निलंबन आदेश जारी कर दिया गया।
अधिकारी अटैचमेंट: सभी निलंबित अधिकारियों को नगरीय प्रशासन विभाग के दुर्ग क्षेत्रीय कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया है।
संकेत: यह कार्रवाई सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” नीति का संकेत है।
राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण
राजनीतिक दृष्टिकोण: कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुई इस अनियमितता के खिलाफ कार्रवाई भाजपा सरकार द्वारा की गई है। इससे यह संकेत मिलता है कि भाजपा की सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने का प्रयास कर रही है।
प्रशासनिक दृष्टिकोण: नगरीय प्रशासन विभाग के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को एक मिसाल के रूप में देखा जा सकता है। इस कार्रवाई का उद्देश्य भविष्य में सरकारी कर्मचारियों को भ्रष्टाचार से दूर रखना हो सकता है।
प्रभाव और परिणाम
सरकारी प्रतिष्ठा: इस कार्रवाई से सरकार के प्रति जनता का विश्वास मजबूत हो सकता है, क्योंकि भ्रष्टाचार पर त्वरित कार्रवाई दिख रही है।
संदेश: यह संदेश जाता है कि चाहे अधिकारी किसी भी पद पर हों, भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
अन्य विभागों पर असर: इस कार्रवाई का असर अन्य सरकारी विभागों पर भी पड़ सकता है, जहां कर्मचारी अपने कार्यों में अधिक सतर्क रहेंगे।
भ्रष्टाचार के मामलों में तेजी: कार्रवाई की तीव्रता (9 दिसंबर को मंजूरी और 10 दिसंबर को आदेश) से यह संकेत मिलता है कि भविष्य में भी भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार तेजी से फैसले ले सकती है।
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निष्कर्ष
डोंगरगढ़ नगर पालिका में हुई इस भ्रष्टाचार की घटना ने सरकारी प्रशासनिक कार्यप्रणाली और निगरानी तंत्र पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, सरकार ने इस पर त्वरित कार्रवाई कर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश दिया है। पांच अधिकारियों और एक प्लेसमेंट कर्मचारी की निलंबन और बर्खास्तगी से स्पष्ट होता है कि “शून्य सहिष्णुता” (Zero Tolerance) नीति पर सरकार गंभीर है। इस कार्रवाई का व्यापक प्रभाव नगरीय प्रशासन और अन्य विभागों पर देखने को मिल सकता है।
