
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और रोग नियंत्रण पर विशेषज्ञों ने दी महत्वपूर्ण जानकारी
मुंगेली, 04 मार्च 2025 // कृषकों और महिला समूहों को मत्स्य पालन में आधुनिक तकनीकों और रोग प्रबंधन के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से ग्राम सकेरी में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन केन्द्रीय मात्स्यकीय शिक्षा संस्थान, मुम्बई द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र, मुंगेली के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। यह प्रशिक्षण अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के तहत आयोजित किया जा रहा है।

पहले दिन मत्स्य रोग प्रबंधन पर विशेषज्ञों ने दी विस्तृत जानकारी
प्रशिक्षण के पहले दिन केन्द्रीय मात्स्यकीय शिक्षा संस्थान, मुम्बई के वैज्ञानिक डॉ. अरुण शर्मा ने मत्स्य स्वास्थ्य प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मछलियों के स्वास्थ्य का सीधा प्रभाव उत्पादन और किसानों की आय पर पड़ता है, इसलिए वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है।

मत्स्य रोग विशेषज्ञ डॉ. सलोनी शिवम ने मछलियों में परजीवी संक्रमण से होने वाले रोगों और उनके प्रभावी नियंत्रण उपायों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सही तालाब प्रबंधन, पोषण संतुलन और नियमित निगरानी से मत्स्य रोगों को रोका जा सकता है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कृषि विज्ञान केंद्र, मुंगेली के प्रमुख डॉ. आर. एल. शर्मा ने छत्तीसगढ़ में मत्स्य पालन के विकास और उसकी आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जल संसाधनों की प्रचुरता को देखते हुए मत्स्य पालन को एक महत्वपूर्ण व्यवसाय के रूप में बढ़ावा दिया जा सकता है।
तालाब प्रबंधन और आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी गई
मत्स्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप सिंह ने तालाब प्रबंधन, पानी की गुणवत्ता बनाए रखने और मछलियों के स्वास्थ्य को सुधारने के उपायों पर जानकारी दी। उन्होंने किसानों को जैविक और आधुनिक तकनीकों के जरिए मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने के सुझाव दिए।
प्रशिक्षण में 30 कृषकों और महिला समूहों ने लिया भाग
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 30 से अधिक कृषकों एवं महिला समूहों ने भाग लिया और मत्स्य पालन की नवीनतम तकनीकों और रोग नियंत्रण के तरीकों की जानकारी प्राप्त की। उपस्थित किसानों ने इसे बहुत उपयोगी और व्यावहारिक ज्ञानवर्धक बताया।
गांव के सरपंच व स्थानीय नागरिकों की उपस्थिति
कार्यक्रम में ग्राम सरपंच सहित कई स्थानीय नागरिक और अधिकारी भी मौजूद रहे, जिन्होंने इस तरह के वैज्ञानिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मत्स्य पालन के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
छत्तीसगढ़ में मत्स्य पालन को मिलेगा नया आयाम
विशेषज्ञों ने कहा कि मत्स्य पालन को वैज्ञानिक तरीके से अपनाकर किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार भी मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रही है।

अगले दो दिनों में होंगे प्रायोगिक सत्र
प्रशिक्षण के अगले दो दिनों में प्रायोगिक सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें किसानों को व्यावहारिक रूप से तालाब प्रबंधन, मछली पालन की तकनीकें और रोग नियंत्रण के तरीके सिखाए जाएंगे।
निष्कर्ष
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों के लिए मत्स्य पालन में नए अवसरों और चुनौतियों को समझने का सुनहरा अवसर है। इससे उन्हें आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों से परिचित होकर अपने व्यवसाय को अधिक लाभदायक बनाने में मदद मिलेगी।