
वाह रे नगर पालिका! अब और क्या देखना बचा हैं!!
बोलो अब किसे बनाओगे मुंगेली नगर पालिका अध्यक्ष
सुबह की चाय साथ में पीते हुए कांग्रेस के एक युवा नेता और प्रिय भईया नें नगर पालिका चुनाव को लेकर मुझसे पूछा !! और यह प्रश्न उठा कि इतनी धमाचौकडी मचने के बाद अब इस बार के चुनाव में नगर पालिका का अध्यक्ष कौन?
“कोई भी”, जो गोल बाजार की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधार सके। मैंने भी अपना स्वार्थ देखते हुए टरकाए स्टाइल में जवाब दे दिया!!
ऐसी चलताऊ बात बोलोगे भईया! कहकर उसने भी हंसकर देखा और बात पलट दिया।
पर इस बात से दिमाग में केमिकल लोचा तो तो हो गया कि आखिर “अब कौन बन सकता है अध्यक्ष?? मुझसे योग्य और कौन होगा? 😁हल्की मुस्कुराहट के साथ मेरा मन ने रूआब दिखाया फिर मैंने सोचा हटाओ ये छोटे मोटे चुनाव मेरे लिए नहीं बने और मुझे अभी देश दुनिया के बड़े बड़े काम करने हैं 😜” फिर मैं नई तो कौन बे “
क्योंकि पिछले 5 साल का कार्यकाल नगर पालिका में काफी “प्रयोगात्मक, उथल पुथल और चंचलता से भरा” रहा है ! चूंकि अभी सरकार भाजपा की है जिससे लोगों की थोड़ी सी धारणा यह भी रहती है की अध्यक्ष भी सत्तारूढ़ पार्टी का रहे तो नगर विकास के हिसाब से बेहतर होता है।
इन सबके बाद पुरानी, सुनी सुनाई बातें और आंखों देखी हकीकत से एक तस्वीर उभरती है?? जिस शख्स ने प्रदेश की सत्ता के विपक्ष में रहते हुए भी कई यादगार कार्यकाल पूरा किया और आज भी आमजनों के दिल में अपनी जगह बनाकर रखी है! जिनको सभी सिंबालिक पार्टियों से अलग हटकर सम्मान दिया जाता है।
“अनिल सोनी“
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व्यक्तित्व, लोक व्यवहार, दानी, निर्णय क्षमता, प्रभावी शख्सियत, मिलनसार, हल्की मुस्कुराहट के साथ कैसी भी सिचुएशन को हैंडल करने वाले!!
विपरीत परिस्थितियों में अपने सधे कदमों से चलकर, राजनीतिक सोच की संकीर्णता से परे लगातार 3 बार नगर पालिका अध्यक्ष बनने वाले ।
उस दौर की कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के ऐतिहासिक भीड़भाड़ के कार्यक्रम (2001) में प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी(छ.ग.) के साथ SNG कॉलेज के मंच पर बैठने वाले युवा नेता जिसने बड़े बाजार स्थित (पारिवारिक व्यवसाय कमल टाकीज) को बखूबी संभाला और पहली बार ढाल तलवार छाप से पार्षद बनने से लेकर ऐतिहासिक तीन बार का अध्यक्षीय कार्यकाल पूरी गरिमा से निभाया!!
देखा जाए तो सत्ता, पद, पोजिशन और पॉवर का आना-जाना लगा रहता है मगर फर्क पड़ता है कुछ ना होते हुए भी अपनी शख्सियत, सम्मान और आभा मंडल को यथावत बनाए रखने का!
और सोनी जी का होना ही इर्द-गिर्द गरिमा बनाए रखने के लिए काफी होता है।
जिला स्तरीय बड़े कार्यक्रम में से लेकर बड़े – बड़े नेताओं के आने पर भी हाफ चड्डे और टी शर्ट में भी उनके आते ही लोगो का कुर्सियों से उठ जाना और यथोचित दुआ सलाम करके सम्मान देना आज भी लाजिमी रहता है!
आगर खेल मैदान, बस स्टैंड, सामुदायिक भवन, पूरे शहर में तगड़ी पक्की सड़कें-आज भी उनके कार्यकाल की याद दिलाती हैं।
15 साल से अनवरत प्रेस क्लब के निर्विरोध, निर्विवाद अध्यक्ष रहते हुए मुंगेली जिला बनाओ आंदोलन, रेल लाइन मांग के साथ नगर विकास से जुड़े सभी मुद्दों को हर मंच से उठाते रहे हैं।
कहते है की चुनाव में साम, दाम, दंड, भेद का उपयोग करना पड़ता है लोग जीतने के लिए पांव तरी तक घुसर जाते हैं, इसके विपरित इनके प्रचार में निकलने पर लोग घरों से निकलकर इनके ही पांव छूकर सम्मान देते थे। मेरे देखे और जानकारी में शायद ही किसी को “मुझे ही वोट देना, देखे रहना, मैं चुनाव लड़ रहा हूं” जैसे शब्दों का प्रयोग करके उन्होंने वोट मांगा हो!!
“अनिल सोनी का जमाना तो अब गया”
ये बोलते हुए भाव भंगिमा बनाने वाले लोग आज भी उनके आभामंडल और जनप्रियता को देखकर वैसा ही किरदार निभाने पाने की अपेक्षा करते हैं।
परंतु अनिल सोनी होना आसान नहीं है!! उसके लिए पद, प्रतिष्ठा, पॉवर और पैसों को दरकिनार करते हुए लोगों के दिलो-दिमाग में छाप छोड़नी पड़ती है!!
पुराने कार्यकाल के समय में भारी दबाव में भी “अपुन झुकेगा नही” भले इस्तीफा दे दूंगा से लेकर मन का काम न होने पर देर रात में फोन कॉल करके संबंधित से नाराजगी जताना, ये सभी किस्से आज भी जन चर्चाओं में बने रहते हैं।
वैसे तो कई दफा सक्रिय चुनावी राजनीति से दूर रहने की मंशा जता चुके हैं। मगर राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र तो होती नहीं है हालाँकि आगे चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना, ये तो उनका अपना, परिवार का, उनकी पार्टी का या उनके समर्थकों का निर्णय होगा!!
कुल मिलाकर ऐसे ही व्यक्तित्व को जो इस किरदार को निभा सके उसको बनाना चाहिए नगर पालिका अध्यक्ष!!
नगर की वर्तमान स्थिति और हालात तो नगर ही नहीं बल्कि अभी तो शायद पुरे प्रदेश में छुपी नहीं है। अब हमारे यहां तो प्रजातंत्र है भईया! हर किसी को चुनाव लडने का अधिकार है !! “तो कोई भी और किसी भी राजनीतिक दल से चुनाव लडे़ और जीते स्वागत है उनका!!” परंतु नगर की वर्तमान बिगड़ैल हालात को सुधारते हुए विकास के साथ पद और कुर्सी की मर्यादा और गरिमा बनाए रखने के लिए ऐसे ही व्यक्तित्व की हमारे नगर को सख्त जरूरत है।
अब हम तो बाजा वाले हैं साहब “दूल्हा” कोई भी हो हमको तो बाजा बजाना हैं और अपना पइसा लेकर निकल जाना हैं😂🤣 बाराती सोचें क्या करना हैं?
वैसे तो इस सवाल का जवाब तो भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है क्योंकि जनता तो सर्वोपरि होती है!!☺️
आप भी सोचकर बताइए कि किसे नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे देखना चाहेंगे?🙏
फोटो :- अनिल सोनी(चश्मा पहने )पुराने किसी कार्यक्रम में साथ में उस समय के उपाध्यक्ष स्वर्गीय जीतेन्द्र चौरसिया