
छत्तीसगढ़ के 33 जिलों के सभी धान खरीदी केंद्रों के 2,000 से अधिक कंप्यूटर ऑपरेटर 12 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। ऑपरेटरों की तीन प्रमुख मांगें हैं—खाद्य विभाग में संविलियन, 27% वेतन वृद्धि और आउटसोर्सिंग नीति का रद्दीकरण। अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो राज्यभर में धान खरीदी पूरी तरह से ठप हो सकती है।
क्या है हड़ताल की वजह?
1. संविलियन की मांग: कंप्यूटर ऑपरेटरों की मांग है कि उन्हें खाद्य विभाग में संविलियन किया जाए।
2. वेतन वृद्धि: ऑपरेटर 27% वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं और अगस्त 2023 से लंबित वेतन जारी करने की मांग कर रहे हैं।
3. आउटसोर्सिंग का विरोध: 2025-26 के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित आउटसोर्सिंग नीति का विरोध किया जा रहा है।
क्या होगा असर?
ऑनलाइन धान खरीदी प्रक्रिया में कंप्यूटर ऑपरेटरों की भूमिका अहम होती है। किसानों को टोकन से लेकर धान बेचने और गेट पास जारी करने तक, सभी कार्य इन्हीं ऑपरेटरों की सहायता से होते हैं। हड़ताल के कारण किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, धान का उठाव और आवक-जावक का काम भी प्रभावित होगा, क्योंकि यह जीपीएस सिस्टम से जुड़ा होता है।
संघ का रुख सख्त
छत्तीसगढ़ समर्थन मूल्य धान खरीदी कंप्यूटर संघ के प्रदेश अध्यक्ष ऋषिकांत मोहरे ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। संघ ने पहले ही इस संबंध में खाद्य विभाग, सहकारिता विभाग और राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के अधिकारियों को ज्ञापन सौंप दिया है।
प्रशासन की चुप्पी
संघ का आरोप है कि अगस्त 2023 के छूटे हुए वेतन पर प्रशासन ने कोई जवाब नहीं दिया है। साथ ही, पिछली हड़ताल के 37 दिनों की अवधि को कार्य अवधि मानने पर भी कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
किसानों की चिंता बढ़ी
धान बेचने के लिए किसानों को अब ऑपरेटरों की गैरमौजूदगी में टोकन लेने और बायोमेट्रिक सत्यापन कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यदि समाधान नहीं निकला तो किसानों के लिए धान बेचने में गंभीर दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं।
अगला कदम?
अगर 12 दिसंबर तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला, तो हड़ताल और लंबी खिंच सकती है, जिससे प्रदेशभर में धान खरीदी प्रक्रिया ठप हो जाएगी। इस स्थिति में राज्य सरकार पर दबाव बढ़ सकता है।